बादलो रूको
कहां जा रहे हो मेरी गोद में
तेरा ही तो अस्तित्व है
तू हंसता है तो मैं
झिलमिलाती हूं
तू रोता है तो मैं भरती हूं
तू गड़गड़ाता है तो मैं
उफनती हूं
मैं तेरी छत्रछाया में
पनपती हूं
नीला आसमान
दूर-दूर तक फैला मेरा आंचल
इस आंचल में फैले सितारे
यह नजारा
इन्द्र के आसन को भी हिलाता है
मेरी लहरों की रवानगी
तेरी मस्तियों की मोहताज है
तू गहराता रह
मेरे आंचल को सहलाता रह
यही चाहना है तुझसे
Excellent expression of subtle feelings
सुन्दर रचना