कविता कब बनती है?
जब कुछ टूटता है मन में
जब कुछ जुड़ता है मन में
जब कुछ दिखता है अलग
जब हिलोरें लेती हैं मन में
जब हाहाकार होता है मन में
तब बनती है कविता।
अपनी छोटी सी भावना को
कहते हैं अपनों से
जो
दिल से निकली हो तो
दिल को जाकर लगती है
फिर मैं और, तुम एकाकार हो
जाते हो
तब दिखता है, कविता का रूप
कविता,मन की कोमल
भावनाएं हैं
मेरे पास शब्द हैं
उसके पास आंसू हैं
तुम्हारे पास आहें हैं
बस फर्क इतना है
मेरे कहने का, तुम्हारे
अहसास का मतलब एक है
तब ही तो बनती है, दिल की बात
जो मेरे लिए, तुम्हारे लिए
कविता है।
बहुत बहुत सुन्दर कविता।